हरियाणा विधानसभा चुनाव: वर्ष 1966 से अब तक का सफर: अब तक 87 महिला विधायक ही विधानसभाओं में चुनी गई
- By Vinod --
- Monday, 23 Sep, 2024
Haryana Assembly elections, journey from 1966 till now
Haryana Assembly elections, journey from 1966 till now- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I हरियाणा में वर्ष 1966 से लेकर अब तक महज 87 महिला विधायक अलग अलग विधानसभा चुनावों में चुनी गई हैं। राज्य विधानसभा में महिला विधायकों का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही कम रहा है। यहां तक कि कुछ महिला विधायकों में से भी कई प्रभावशाली या धनी परिवारों से आती हैं बावजूद इसके पुरुष वर्चस्व ज्यादा रहा है। हरियाणा में आगामी 5 अक्टूबर को 90 सदस्यीय विधानसभा के लिये चुनाव हैं। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1966 में पंजाब से अलग होने के बाद से राज्य ने केवल 87 महिला विधायकों को चुना। उन 87 महिलाओं में से 47 तो वर्ष 2000 के विधानसभा चुनावों के बाद से चुनी गई हैं। न केवल यहां बात महिला विधायकों को चुनने की हो रही है बल्कि विषम लिंगानुपात के लिए पहचान रखने वाले राज्य में कभी भी महिला मुख्यमंत्री नहीं रही। वर्ष 2019 में राज्य में कुल 104 महिलाओं ने चुनाव लड़ा लेकिन केवल 9 ही जीत हासिल करने में सफल रहीं। 2014 में, 116 महिला उम्मीदवारों में से रिकॉर्ड 13 विधायक चुनी गईं।
भाजपा ने दस, कांग्रेस ने 12, बसपा-इनेलो ने 11 और आप ने 10 और जजपा ने 8 महिलाओं को दिया मौका
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दस महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो सभी राजनीतिक दलों में सबसे अधिक है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) गठबंधन ने मिलकर 11 महिलाओं को मैदान में उतारा है, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी 90 उम्मीदवारों की सूची में 10 महिलाओं को मौका दिया है। आजाद समाज पार्टी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच नए गठबंधन ने इस चुनाव में 85 सीटों पर आठ महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है।
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पारित, 2029 से होगा लागू
पूर्व राज्य शिक्षा मंत्री और कांग्रेस की झज्जर सीट से उम्मीदवार गीता भुक्कल ने कहा, संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक पारित किया गया, लेकिन इसे 2029 में लागू किया जाएगा, जो महिलाओं के साथ भी मजाक है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा से ही राज्य में चिंता का विषय रहा है। पिछले कुछ वर्षों में विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और 2000 से 2019 तक राज्य चुनावों में पुरुषों को आसानी से पछाडऩे की उनकी क्षमता हरियाणा की राजनीति में महिलाओं के लिए एक सकारात्मक पहलू है। हालांकि, उक्त अवधि में निर्वाचित महिला विधायकों में से कई संपन्न राजनीतिक परिवारों से थीं, जिससे हालात अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रहे। पंजाब यूनिवर्सिटी के सोशोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर की दलील है कि राज्य की राजनीति अभी भी पितृसत्ता में निहित है। केवल बड़े राजनीतिक परिवारों से आने वाली महिलाओं को ही टिकट आवंटित किए जाते हैं। यह देखा जा सकता है कि महिलाओं के लिए स्वतंत्र रूप से या मजबूत राजनीतिक समर्थन के बिना चुनाव लडऩा भी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि इस बात को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि 2000 से लेकर अब तक केवल एक महिला निर्दलीय उम्मीदवार शकुंतला भगवारिया ही हैं, जिन्होंने 2005 में स्वतंत्र रूप से चुनाव जीता था।
हरियाणा में बाल लिंग अनुपात
2019-2021 में आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से बाल लिंग अनुपात पर नवीनतम डेटा के अनुसार हरियाणा में बाल लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 885 महिलाएँ हैं। यह 2011 की जनगणना में दर्ज प्रति 1000 पुरुषों पर 834 महिलाओं पर एक महत्वपूर्ण सुधार है। हालाँकि, प्रगति तो हुई है लेकिन अभी भी हरियाणा में बाल लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 933 महिलाओं के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। यह दर्शाता है कि लिंग आधारित भेदभाव को दूर करने और राज्य में लड़कियों के समान अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने के लिए अभी भी काम किया जाना बाकी है।
प्रमुख महिला उम्मीदवार और उनकी विरासत
आरती सिंह राव : केंद्रीय मंत्री इंद्रजीत सिंह की बेटी भाजपा के टिकट पर अटेली निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं।
श्रुति चौधरी: पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती होने के नाते, उन्होंने कांग्रेस से भाजपा का दामन थामा और वे तोशाम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं।
विनेश फोगट: चैंपियन पहलवान जींद जिले के जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं। फोगट भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध का चेहरा थी, जिन पर पहलवानों ने यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था। वे आप की कविता दलाल के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं, जो डब्ल्यूडब्ल्यूई में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।
-सावित्री जिंदल: वे एशिया की सबसे अमीर महिला हैं और ओपी जिंदल समूह की अध्यक्ष हैं। उन्होंने हरियाणा कं मंत्री और मौजूदा हिसार विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए भाजपा से बगावत की। सावित्री ने कहा था कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र हिसार के लोगों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
-चित्रा सरवारा: वह अंबाला छावनी सीट से भाजपा के अनिल विज और छह बार के विधायक और पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के परविंदर सिंह पारी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं। सरवारा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सहयोगी निर्मल सिंह की बेटी हैं। कांग्रेस द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद उन्होंने 2019 का चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ा था। वह 44,000 से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
-राबिया किदवई: आप द्वारा मैदान में उतारी गई, वह मुस्लिम बहुल सीट नूंह से पहली महिला उम्मीदवार हैं। वह हरियाणा के 13वें राज्यपाल अखलाक-उर-रहमान किदवई की पोती हैं।
-कुमुदनी राकेश दौलताबाद : वह हरियाणा के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र बादशाहपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। उनके पति और सीट के पूर्व विधायक राकेश दौलताबाद का इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था। उन्होंने 2019 का चुनाव निर्दलीय के तौर पर जीता था।